जामुन भले ही देखने में काले और छोटे होते हैं, लेकिन आयुर्वेद के अनुसार इनमें बहुत सारे औषधीय गुण पाए जाते हैं, जिनके कारण जामुन के अनेक फायदे हैं। गर्मी के मौसम में आम के साथ-साथ जामुन (blackberry) भी आता है। आयुर्वेद में जामुन को मुख्य रूप से मधुमेह नियंत्रण के लिए जाना जाता है। इसके अलावा, जामुन पाचन सुधारने, दांतों, आंखों, पेट, चेहरे और किडनी स्टोन के लिए भी लाभकारी है। जामुन में आयरन, कैल्शियम, प्रोटीन, फाइबर, और कार्बोहाइड्रेट भी प्रचुर मात्रा में होते हैं, जिससे यह बच्चों की सेहत के लिए भी बहुत अच्छा होता है। जामुन के यह औषधीय गुण इसे एक महत्वपूर्ण फल बनाते हैं।
इसके सेवन से न केवल मधुमेह को नियंत्रित किया जा सकता है, बल्कि पाचन क्रिया को भी बेहतर बनाया जा सकता है। इसके अलावा, यह दांतों को मजबूत बनाता है, आंखों की रोशनी को बढ़ाता है, पेट की समस्याओं को कम करता है, चेहरे की चमक बढ़ाता है और किडनी स्टोन को भी कम करने में मदद करता है। इन सभी फायदों के कारण जामुन को अपने आहार में शामिल करना बहुत लाभदायक हो सकता है। आइए, जामुन के गुणों और फायदों के बारे में विस्तार से जानते हैं।
जामुन का फल न केवल खाने की इच्छा बढ़ाता है, बल्कि लीवर को स्वस्थ रखने में भी मदद करता है। इसके अलावा, जम्बुफल (Indian blackberry) की गिरी पाचन क्रिया को सुधारती है
1.) डायबिटीज नियंत्रण के लिए जामुन का चूर्ण (Jamun Benefits for Diabetes Control)
मधुमेह में जामुन का सेवन बहुत लाभकारी होता है। जामुन की 100 ग्राम जड़ को साफ करके 250 मिली पानी में पीस लें। इसमें 20 ग्राम मिश्री मिलाकर सुबह और शाम भोजन से पहले पिएं। इससे मधुमेह में राहत मिलती है।
बड़े आकार के जामुन के फलों को सूरज की रोशनी में सुखा कर चूर्ण बना लें। इस चूर्ण को दिन में तीन बार, 10 से 20 ग्राम की मात्रा में सेवन करने से मधुमेह में लाभ हो सकता है।
जामुन की गुठली, शुण्ठी और गुड़मार बूटी का चूर्ण मिलाकर एक मिश्रण बनाएं। इसे कपड़े से छानकर घृतकुमारी या ऐलोवेरा के रस में मिलाएं और बेर जैसी गोलियाँ बना लें। इस मिश्रण को दिन में तीन बार, मधु के साथ 1-1 गोली के रूप में लेने से मधुमेह में लाभ हो सकता है।
300-500 मिग्रा जामुन के बीज को सूखाकर उसका चूर्ण बनाना और इसे दिन में तीन बार लेना मधुमेह में लाभकारी हो सकता है।
2.) जामुन के उपयोग से मुँहासों को दूर करें (Benefits of Jamun for Acne)
जामुन का रस पिम्पल्स या मुंहासों को कम करने में मददगार होता है। यह रस त्वचा पर लगाने से त्वचा की तेलीयता को कम करता है, जिससे पिम्पल्स की समस्या में आराम मिलता है। जामुन में कई औषधीय गुण होते हैं जो त्वचा के विकारों को दूर करने में मदद करते हैं। इसके कषाय गुण और एंटीबैक्टीरियल गुण भी होते हैं, जो त्वचा की स्वच्छता और स्वस्थता में सहायक होते हैं। जामुन के रस का नियमित उपयोग त्वचा को स्वस्थ और चमकदार बनाए रखने में मदद कर सकता है।
3.) त्वचा और आँखों के लिए जामुन के स्वास्थ्यवर्धक फायदे (Health Benefits of Jamun for Skin and Eyes)
जामुन एक प्राकृतिक उपचारक है जो त्वचा के रोगों को दूर करने में मदद कर सकता है, और इसे आंतरिक और बाहरी दोनों तरीकों से उपयोग किया जा सकता है। जामुन की छाल में रक्तशोधक गुण होते हैं जो शरीर के विषैले पदार्थों को बाहर निकालकर त्वचा के रोगों को कम करने में मदद करते हैं। इसके अलावा, जामुन का रस त्वचा पर लगाने से पिम्पल्स जैसे समस्याओं में आराम मिल सकता है और त्वचा को सुंदर और स्वस्थ बनाए रखने में मदद करता है।
मधुमेह के कारण होने वाले आंखों के नुकसान से बचाव में भी जामुन मददगार हो सकता है, क्योंकि इसमें मौजूद विशेष गुण आंखों की सुरक्षा और स्वास्थ्य को बनाए रखने में सहायक हो सकते हैं। इसलिए, जामुन का नियमित उपयोग त्वचा और आंखों के लिए स्वास्थ्यवर्धक फायदेमंद हो सकता है।
4.) जामुन के फायदे दांत दर्द में (Benefits of Jamun for Toothache)
जामुन दांतों से जुड़ी किसी भी समस्या में फायदेमंद होता है। जामुन की पत्तियों की राख बनाकर इसे दांतों और मसूड़ों पर मसाज करने से दांतों और मसूड़ों को मजबूती मिलती है। पके हुए जामुन के फलों के रस को मुँह में भरकर अच्छे से हिलाकर कुल्ला करने से पायरिया में लाभ होता है।
5.) जामुन से लीवर की सेहत में सुधार (Improving Liver Health with Jamun)
लीवर में सूजन हो तो, रोज 10 मिली जामुन की गुठली के रस का सेवन करें। इससे लाभ होता है। जामुन का सिरका 10 मिली रोजाना लेने से तिल्ली और लिवर के विकार में बहुत उपयोगी होता है।
6.) जामुन से जानवरों के काटने के घाव में सुधार (Improvement in Animal Bite Wounds with Jamun)
जानवरों के काटने से होने वाले घावों में विष का फैलना आम होता है, जिससे शरीर में कई समस्याएं हो सकती हैं। इसके लिए जामुन के पत्तों को पानी में पीसकर इस मिश्रण को पिलाने से विष का प्रभाव कम हो सकता है। दूसरी ओर, जामुन की सूखी हुई गुठली को पीसकर 10 ग्राम की मात्रा में सेवन करने से काटने के बाद होने वाले विषाक्त प्रभावों में सुधार आ सकता है।
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यह लेख सही समय पर मिला है
अभी बाजार में जामुन मिलने लगा है
इसका उपयोग करना आसान है
समय पर जानकारी देने के लिए
धन्यवाद
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