प्रोटीन एक अत्यंत महत्वपूर्ण पोषक तत्व है जो पूरे शरीर में पाया जाता है। यह हमारे शरीर के विभिन्न हिस्सों के विकास, रखरखाव और मरम्मत के लिए आवश्यक है। प्रोटीन को अमीनो एसिड के रूप में भी जाना जाता है, जो शरीर की हर कोशिका में मौजूद होता है। यह मांसपेशियों और हड्डियों के निर्माण और मरम्मत में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, साथ ही हार्मोन और एंजाइम के निर्माण में भी सहायक होता है। प्रोटीन एंटीबॉडी भी बनाता है जो संक्रमण से लड़ते हैं और कोशिकाओं को स्वस्थ रखते हैं।
नेशनल एकेडमी ऑफ मेडिसिन की सिफारिश है कि वयस्कों को प्रति दिन अपने शरीर के वजन के हर किलोग्राम के लिए कम से कम 0.8 ग्राम प्रोटीन का सेवन करना चाहिए। उदाहरण के लिए, यदि आपका वजन 60 किलोग्राम है, तो आपको प्रति दिन लगभग 48 ग्राम प्रोटीन की आवश्यकता होगी। इसी प्रकार, हर 20 पाउंड वजन के लिए लगभग 7 ग्राम प्रोटीन की आवश्यकता होती है।
पर्याप्त प्रोटीन न मिलने के कई चेतावनी संकेत होते हैं, जो आपके स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकते हैं। यहां हम प्रोटीन की कमी के कुछ मुख्य संकेतों पर विस्तृत चर्चा करेंगे।
शरीर में प्रोटीन की कमी के 5 पहचान के तरीके
1) सूजन
प्रोटीन की कमी का सबसे सामान्य संकेत सूजन (एडेमा) है, जो खासकर आपके पेट, पैरों, पैरों के तलवों और हाथों में हो सकती है। इसके पीछे एक संभावित कारण यह है कि आपके रक्त में घूमने वाले प्रोटीन, विशेष रूप से एल्बुमिन, तरल पदार्थ को आपके ऊतकों में जमा होने से रोकते हैं। जब आपके शरीर में पर्याप्त प्रोटीन नहीं होता है, तो एल्बुमिन का स्तर कम हो सकता है, जिससे तरल पदार्थ ऊतकों में जमा हो जाता है और सूजन हो जाती है।
सूजन की यह समस्या प्रोटीन की कमी के अन्य लक्षणों के साथ भी हो सकती है, जैसे थकान, मांसपेशियों की कमजोरी, और बालों एवं नाखूनों की कमजोरी। प्रोटीन की कमी से शरीर के विभिन्न हिस्सों में सूजन हो सकती है, जो आपको अस्वस्थ और असहज महसूस करा सकती है।
प्रोटीन का मुख्य कार्य शरीर में ऊतकों और कोशिकाओं की मरम्मत और निर्माण करना है। यह रक्त में तरल पदार्थ को संतुलित रखने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। एल्बुमिन, जो रक्त में प्रमुख प्रोटीन में से एक है, प्लाज्मा प्रोटीन का प्रमुख घटक है और यह रक्त के प्रवाह में तरल पदार्थ को संतुलित रखने में मदद करता है। जब एल्बुमिन का स्तर कम हो जाता है, तो तरल पदार्थ ऊतकों में जमा हो जाता है, जिससे सूजन होती है।
2)मूड में बदलाव
हमारा मस्तिष्क न्यूरोट्रांसमीटर का उपयोग करके कोशिकाओं के बीच जानकारी पहुंचाता है। ये न्यूरोट्रांसमीटर अमीनो एसिड से बने होते हैं, इसलिए आपके आहार में प्रोटीन की कमी का मतलब है कि शरीर पर्याप्त न्यूरोट्रांसमीटर नहीं बना सकता। इससे मस्तिष्क के काम करने के तरीके में बदलाव आता है और मूड में बदलाव हो सकता है।
प्रोटीन की कमी के कारण न्यूरोट्रांसमीटर की कमी से मूड स्विंग्स, चिड़चिड़ापन और यहां तक कि अवसाद जैसी समस्याएं हो सकती हैं। प्रोटीन का पर्याप्त सेवन न होने से आपका मस्तिष्क सही तरीके से काम नहीं कर पाता और यह आपके भावनात्मक स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकता है।
मूड में बदलाव के कुछ सामान्य संकेतों में अचानक खुशी से उदासी की ओर झुकाव, तनाव, चिंता और मानसिक थकान शामिल हैं। जब मस्तिष्क को आवश्यक अमीनो एसिड नहीं मिलते, तो यह प्रभावी रूप से न्यूरोट्रांसमीटर नहीं बना पाता, जो मूड को नियंत्रित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
3)मांसपेशियों पर प्रभाव
जब आपको एक सप्ताह तक भी पर्याप्त प्रोटीन नहीं मिलता है, तो यह उन मांसपेशियों को प्रभावित कर सकता है जो आपके शरीर की गति और मुद्रा के लिए जिम्मेदार होती हैं। प्रोटीन की कमी से मांसपेशियों में कमी हो सकती है, जिससे आपका मेटाबोलिज्म धीमा हो जाता है और संतुलन बनाए रखना कठिन हो सकता है।
मांसपेशियों का निर्माण और मरम्मत प्रोटीन पर निर्भर करता है। जब प्रोटीन की पर्याप्त मात्रा नहीं मिलती, तो शरीर मांसपेशियों से प्रोटीन लेना शुरू कर देता है, जिससे मांसपेशियों की कमजोरी और सिकुड़न हो सकती है। इससे आपकी शारीरिक शक्ति और सहनशक्ति में कमी आ सकती है।
प्रोटीन की कमी से मेटाबोलिज्म भी धीमा हो जाता है, जिससे वजन घटाना कठिन हो सकता है और शरीर में फैट जमा होने की संभावना बढ़ जाती है। मेटाबोलिज्म धीमा होने से आपको दिन भर थकान और कमजोरी महसूस हो सकती है।
4)अत्यधिक भूख
प्रोटीन की कमी अत्यधिक भूख का कारण बन सकती है। प्रोटीन एक ऐसा पोषक तत्व है जो तृप्ति और पूर्णता की भावना को बढ़ावा देता है। जब आपके आहार में प्रोटीन की मात्रा कम होती है, तो आपको अधिक भूख महसूस हो सकती है। प्रोटीन युक्त खाद्य पदार्थों का सेवन आपको दिन भर पूर्ण और संतुष्ट महसूस करने में मदद करता है।
जब हम प्रोटीन युक्त भोजन करते हैं, तो यह हमारे शरीर को धीरे-धीरे पचता है, जिससे तृप्ति की भावना लंबे समय तक बनी रहती है। इसके विपरीत, कम प्रोटीन वाला आहार जल्द ही भूख लगने का कारण बन सकता है। यह विशेष रूप से उन लोगों के लिए महत्वपूर्ण है जो वजन घटाने या वजन प्रबंधन के लक्ष्य को प्राप्त करना चाहते हैं।
5)बार-बार बीमार होना
प्रोटीन की कमी आपकी प्रतिरक्षा प्रणाली को कमजोर कर सकती है, जिससे आप बार-बार बीमार पड़ सकते हैं। प्रोटीन की कमी से शरीर के संक्रमण से लड़ने की क्षमता घट जाती है, जिससे सामान्य सर्दी-जुकाम से लेकर गंभीर संक्रमण तक का खतरा बढ़ सकता है।
प्रोटीन एंटीबॉडी बनाने के लिए आवश्यक है, जो आपके शरीर को बाहरी आक्रमणकारियों से बचाते हैं। जब पर्याप्त प्रोटीन नहीं होता, तो आपका शरीर इन महत्वपूर्ण एंटीबॉडी का उत्पादन नहीं कर पाता, जिससे आपकी प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर हो जाती है।
प्रोटीन न केवल प्रतिरक्षा प्रणाली के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि यह अन्य पोषक तत्वों को पचाने और अवशोषित करने में भी मदद करता है, जो समग्र स्वास्थ्य के लिए आवश्यक हैं। बिना प्रोटीन के, आपका शरीर विटामिन और मिनरल्स को ठीक से अवशोषित नहीं कर पाता, जिससे पोषण की कमी हो सकती है।
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